शासकीय अधिवक्ताओं की राजनीतिक आधार पर नियुक्ति पर सुप्रीम कोर्ट ने लिया संज्ञान
इंदौर के वकील के रिप्रेजेंटेशन को पत्र याचिका के रूप में किया एडमिट
न्यायालयों में शासकीय अधिवक्ताओं की राजनीतिक आधार पर नियुक्ति को लेकर इंदौर के वकील द्वारा भेजे गए रिप्रेजेंटेशन को सुप्रीम कोर्ट ने संज्ञान में लेते हुए इसे पत्र याचिका पीआईएल (59045/SCI/PIL ) के रूप में एडमिट कर लिया है।
इंदौर के वकील पंकज वाधवानी ने सुप्रीम कोर्ट से रिप्रेजेंटेशन देकर यह मांग की थी कि सर्वोच्च न्यायालय एवं उच्च न्यायालयों की खंडपीठ में सरकार का पक्ष रखने वाले शासकीय अधिवक्ताओं की नियुक्ति राजनीतिक नियुक्ति ना होकर योग्यता के आधार पर की जाए। पत्र के साथ नियुक्ति के लिए स्कीम भी ड्राफ्ट कर प्रेषित की थी।
यह कहा था पत्र में
पत्र में कहा गया था कि सर्वोच्च न्यायालय एवं उच्च न्यायालयों की समस्त खंडपीठ के समक्ष सिर्फ आपराधिक, सिविल एवं राजस्व मामलों के अलावा सुनवाई हेतु सर्विस एवं संवैधानिक मुकदमे भी सुनवाई हेतु आते हैं और यह निर्विवाद तथ्य है कि विचाराधीन एवं लंबित मामलों में लगभग 46% वादों में राज्य एक आवश्यक पक्षकार के रूप में होता है।
ऐसे में केंद्र सरकार एवं राज्य सरकारों का पक्ष रखने वाले शासकीय अधिवक्ताओं की नियुक्ति राजनीतिक होना अत्यंत ही अनुचित एवं जनता के हितों के प्रतिकूल है तथा नैसर्गिक न्याय के सिद्धांत का उल्लंघन होकर लोकतांत्रिक सिद्धांतों के भी विपरीत है।
ऐसे में शासकीय अधिवक्ता वह व्यक्ति होना चाहिए जो सरकार के हित की अपेक्षा आम जनता के हितों का प्रतिनिधित्व करें, इसलिए शासकीय अधिवक्ताओं की नियुक्ति मनोनयन के आधार पर न होकर योग्यता के आधार पर परीक्षा के माध्यम से की जाना न्यायपूर्ण है।