देवास। रंगमंच एवं ललित कलाओं के लिए समर्पित अखिल भारतीय संस्था संस्कार भारती, इकाई देवास द्वारा दीपावली पर्व के आगमन पूर्व भारत की सबसे प्राचीन सांस्कृतिक लोककला रंगोली का एक दिवसीय प्रशिक्षण शिविर का आयोजन, सरस्वती विद्या मंदिर, मुखर्जी नगर में आयोजित किया गया। कार्यक्रम की शुरुआत लब्धप्रतिष्ठित ख्यात शास्त्रीय गायिका संस्कार भारती प्रान्त अध्यक्ष कलापिनी कोमकली, मुख्य प्रशिक्षक संस्कार भारती प्रांत मातृशक्ति प्रमुख भारती मिश्रा व राजश्री चिटनीस, नीना शर्मा, प्रान्त संगठन मंत्री प्रकाश पंवार, डॉ रमेश सोनी, सुप्रसिद्ध भजन गायक देवास इकाई अध्यक्ष द्वारका मंत्री, मीना पटवर्धन, इंद्रा शर्मा, मनोरमा सोलंकी, शशि दुसाद, रीता जाधव, चंद्रकला रघुवंशी द्वारा माँ सरस्वती के पूजन व दीप प्रज्वलन से हुई। अपने अथिति उद्बोधन में कलापिनी कोमकली ने कहा कि अपनी कला और संस्कृति से आत्मिक जुड़ाव रखने वाले अधिक से अधिक लोग संस्कार भारती के हमसफऱ बने यही प्रयास हो। मुख्य प्रशिक्षिका भारती मिश्रा ने कहा कि रंगोली भारत की प्राचीन सांस्कृतिक परंपरा और लोककला हैं जिसे भू अलंकरण भी कहते हैं। इनका प्रयोजन सजावट और सुमंगल हैं। यह धार्मिक सांस्कृतिक आस्थाओं का प्रतीक रही हैं। यह जानते हुए भी कि यह कल धुल जाएगी, जिस प्रयोजन से यह बनाई जाती हैं, वह हो जाने की कामना हैं। यह हमारी सांस्कृतिक भावनाओं को साकार करती हैं। प्रकाश पंवार ने कहा कि भारतीय कलाएं शाश्वत आनंद देती है भले ही रंगोली कम समय के लिए हो। कार्यक्रम में डिमोस्ट्रे्रशन के साथ बनाने की विभिन्न तरीके जिससे कम समय में आकर्षक सुंदर व बडे आकार में, घर में ही उपलब्ध साधनों से सुगमता से बनाई जा सके। बडी संख्या में सम्मिलित प्रशिक्षुओं ने अलग अलग काल खण्ड में पुन: विभिन्न तकनीकों व साधनों से बड़ी रंगोली सभी के साथ मिलकर बनाई गई। इसके बाद सभी प्रशिक्षुकों ने एकल व अपने अपने समूह में रंगोलिया बडे आकार में बताई तकनीकी व साधनों का उपयोग कर बड़े आनंद के साथ बनाई गई।