सीनियर आईएएस वीरा राणा नियुक्त हुई प्रदेश की मुख्य निर्वाचन अधिकारी

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सीनियर आईएएस वीरा राणा नियुक्त हुई प्रदेश की मुख्य निर्वाचन अधिकारी

सीनियर आईएएस अफसर वीरा राणा को राज्य का नया मुख्य निर्वाचन अधिकारी बनाया गया है। अभी वे खेल और युवा कल्याण विभाग की एसीएस थीं। राणा को वीएल कांताराव के स्थान पर जिम्मेदारी दी गई है। कांताराव के प्रतिनियुक्ति पर दिल्ली जाने के बाद से ये पद खाली हो गया था। फिलहाल, अतिरिक्त मुख्य निर्वाचन अधिकारी अरुण कुमार तोमर प्रभारी के तौर पर इस पद की जिम्मेदारी संभाल रहे थे।
वीरा राणा को ऐसे समय में राज्य का मुख्य निर्वाचन अधिकारी नियुक्त किया गया हैं, जब प्रदेश में 24 विधानसभा सीटों के लिए उपचुनाव होना हैं। अब वे चुनाव आयोग के दिशा-निर्देशन में काम करेंगी। इसके अलावा, चुनाव वाले इलाकों में आचार संहिता का पालन कराने से लेकर जरूरी प्रशासनिक व्यवस्था की जिम्मेदारी भी संभालेंगी।
वीरा राणा 1988 बैच की आईएएस अधिकारी हैं। इससे पहले मुख्य निर्वाचन अधिकारी रहे वीएल कांताराव के निर्देशन में मध्यप्रदेश में 2018 के विधानसभा और 2019 के लोकसभा चुनाव हुए थे। भारत निर्वाचन आयोग ने प्रदेश के मुख्य निर्वाचन अधिकारी के लिए प्रदेश सरकार से तीन आईएएस अधिकारियों का पैनल बुलाया था। इसमें भारत निर्वाचन आयोग ने वीरा राणा के नाम पर मंजूरी दी है। राणा इसके पहले प्रशासन अकादमी में महानिदेशक, कुटीर और ग्रामोद्योग विभाग और सामान्य प्रशासन विभाग कार्मिक जैसे महत्वपूर्ण विभागों की जिम्मेदारी संभाल चुकी हैं।

24 सीटों पर होने हैं उपचुनाव

मध्यप्रदेश में 24 विधानसभा सीटों पर उपचुनाव होने हैं। यह सीटें प्रदेश के 15 जिलों में हैं। प्रदेश के मुरैना, भिंड, ग्वालियर, दतिया, शिवपुरी, अशोकनगर, गुना, सागर, अनूपपुर, रायसेन, इंदौर, देवास, धार, मंदसौर और आगर-मालवा जिले में उपचुनाव होंगे। तारीखों की घोषणा अभी नहीं हुई है।

सिंधिया के समर्थन में 22 विधायकों ने इस्तीफा दिया था

प्रदेश में सियासी घमासान के बीच 10 मार्च को ज्योतिरादित्य सिंधिया के समर्थन में कांग्रेस से 22 विधायकों ने इस्तीफा दे दिया था। यह सभी सीटें खाली चल रही हैं। जबकि जौरा और आगर मालवा विधानसभा की सीट विधायकों के निधन के कारण खाली हुई हैं। यहां जून के पहले पखवाड़े के उपचुनाव होने की संभावना है। चूंकि सीट खाली होने के बाद 6 महीने में चुनाव कराना जरूरी होता है। इन दोनों सीट के विधायकों की मौत नवंबर और दिसंबर में हुई थी। लेकिन, कोरोना संकट और लॉकडाउन के चलते फिलहाल संभव नहीं दिख रहा है।

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