“हिन्दी दिवस विशेष” हिन्दी दिवस पर ,भाव विभोर करती मनोज दुबे की कविता ।

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“हिन्दी दिवस विशेष”

“दुनिया वालों हिन्दी बोलो…….”( हिन्दी दिवस पर ,भाव विभोर करती है मनोज दुबे की कविता)

देवास/काँटाफोड

कांटाफोड़- आध्यात्म, धर्म के पट खोलो, मन का सब अँधियारा धोलो ,वाणी में अब मिश्री घोलो , दुनिया वालों हिन्दी बोलो….
हिन्दी के प्रति श्रद्धा और प्रेम जगाने वाली ये पंक्तियाँ शिक्षक और फिल्म गीतकार मनोज दुबे की कविता ” दुनिया वालों हिन्दी बोलो… की है। अपनी साहित्यिक प्रतिभा के दम पर सम्पूर्ण अंचल के नाम को कई बार गौरवान्वित करने वाले शिक्षक एवं फिल्म गीतकार मनोज दुबे की यह कविता प्रतिवर्ष हिन्दी दिवस के अवसर पर अवश्य याद आती है। कविता की यह पंक्तियाँ भाव विभोर कर देती है कि ” ये सीमाओं में कैद नही, इस के मन में कोई भेद नही, विज्ञान सम्मत व्याकरण हे,धर्म सम्मत आचरण है,रिश्तों का सम्मान हे ये, ईश्वर का वरदान है ये ,
उच्चारण के गंगाजल से अपनी जिव्हा को धोलो ,
दुनिया वालों हिन्दी बोलो” । हिन्दी दिवस के अवसर पर सम्पूर्ण देश में विभिन्न मंचों पर मनोज दुबे के द्वारा इस कविता का पाठ किया जाता है। यहाँ यह उल्लेखनीय है कि मनोज दुबे एक समर्पित शिक्षक के साथ ही एक उत्कृष्ट गीतकार भी हे तथा फिल्म राईटर एसोसिएशन मुम्बई के सदस्य भी हे।

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