मौसम की बेरुखी ने बढ़ाई किसानों कि चिंता
मानसून की लंबी खेच से मुरझाने लगी फसलें
कांटाफोड़- अन्नदाता किसान के ऊपर हमेशा ही संकट के बादल छाए रहते हैं।अभी पिछली सोयाबीन की फसल नुकसानी को भुला नहीं पा रहे है और ऊपर से मौसम की बेरुखी से किसानों के चेहरे मुरझाने लगे है।
पिछले वर्ष सोयाबीन कि फसल पूर्ण रूप से नष्ट हो गई थी इस वजह से सोयाबीन बीज की कीमतों में बेतहाशा बढ़ोतरी हुई और गरीब किसान बीज तक नहीं खरीद पाए ना ही शासकीय संस्थाओं ने पर्याप्त बीज की आपूर्ति की इन सब समस्याओं को देखते हुवे किसानों ने इस वर्ष सोयाबीन का रकबा कम किया और ज्वार मक्का मूंग के साथ ही ओषधीय खेती तुलसी को बढ़ावा दिया मगर वर्तमान परिस्थिति में अधिकतर खेतों में बीज जमीन के अंदर है और कही कहीं नन्हे पोधे है जिन्हे पानी की शक्त आवश्यकता है मगर लगभग आठ दिनों से मौसम की बेरुखी चल रही है जिससे किसानों के चेहरे मुरझाए हुवे है कुछ किसानों ने फसल को बचाने के लिए स्प्रिंकलर के माध्यम से पानी प्रारंभ कर दिया है।