जूना अखाड़े की शाही पेशवाई के साथ कुंभ मेले की औपचारिक शुरुआत हो गई है। 25 दिसंबर को संन्यासियों और नागा संतो के सबसे बड़े अखाड़े श्री पंच दशनाम जूना अखाड़ा और श्री पंचअग्नि अखाड़े की पेशवाई हुई।आचार्य महामंडलेश्वर अवधेशानंद गिरि की अगुवाई में हजारों नागा संतो के साथ पचास से ज्यादा महामंडलेश्वरों ने कुंभ में प्रवेश किया। भगवान दत्तात्रेय कि सोने के हौदे में रखी प्रतिमा को विशाल चांदी के सिंहासन पर स्थापित कर पेशवाई का शुभारंभ हुआ। यह अद्भुत दृश्य देखने के लिए हर कोई संगम की ओर खिंचा रहा था। देवता के बाद निशान और डंका बजाते हुए घोड़े पर सवार नागा सन्यासी आगे बढ़ते रहे। पेशवाई में सबसे पहले गुरु महाराज अखाड़े के आचार्य संत और फिर देवता का सिंहासन कंधे पर लिए गुरु महाराज की जयकार करते हुए नागा संगम की चल पड़े।पेशवाई में अस्त्र-शस्त्र के प्रदर्शन के साथ ही संत, महंत, ऊंट, घोड़ों एहाथियों पर सवार होकर संगम के बांध तक पहुंचे। इस दौरान नागा संन्यासी अपने युद्ध कौशल के पराक्रम के साथ अपने अलग अलग करतब से लोगों को आकर्षित करते रहे।