अखाड़ा रोड़, सुभाष चौक पर भौर तक बही सनातन, हिंदुत्व की काव्य धारा

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अखाड़ा रोड़, सुभाष चौक पर भौर तक बही सनातन, हिंदुत्व की काव्य धारा
– भरपूर हास्य, तीखे व्यंग्यों के साथ 5 घंटे तक अनवरत चला कवि सम्मेलन
देवास। अखाड़ा रोड़, सुभाष चौक पर आयोजित विराट अ. भा. कवि सम्मेलन के मंच पर देश में भूषण, दिनकर, निराला की पंक्ति के राष्ट्रवादी कवियों का बोलबाला रहा । डायमंड क्लब गणेशोत्सव समिति एवं अंतर्राष्ट्रीय विश्व हिंदू परिषद, बजरंग दल की ओर से आयोजित इस कवि सम्मेलन में सांसद महेंद्र सिंह सोलंकी के मुख्य आतिथ्य में सनातन एवं हिन्दुत्व की ओजिस्विता से परिपूर्ण दिव्य काव्य धारा बही । श्री गणेश जी की महाआरती उपरांत नर्मदापुरम से पधारी कवियित्री मोना गुप्ता द्वारा प्रस्तुत सरस्वती वंदना वाणी को वीरता का वरदान दो मां, कलम से मेरी रोशन ये जहान हो मां से प्रारंभ यह कवि सम्मेलन रात्रि 9 बजे से मध्य रात्रि 3 बजे तक अनवरत चलता रहा । देश में भटकाव के कारण लव जेहाद की शिकार होती बहन बेटियों को अपनी ‘पंक्तियां गली गली में उस श्रद्धा के नाम के दुखड़े नही होते, 36 गुण अपना लेती तो 35 टुकड़े नही होते’ का संदेश देते ख्यातनाम संचालक कुलदीप रंगीला के संचालन में भरपूर हास्य, तीखे व्यंग्यो के साथ 5 घंटे तक उपस्थित श्रोतागण टस से मस नहीं हुए। महिदपुर से आगंतुक हास्य के कवि शंकरसिंह सिसोदिया ने अपनी प्यारी मालवी बोली में हंसा हंसाकर लोटपोट कर दिया। देश के प्रसिद्ध लाफ्टर हास्य, व्यंग्यकार कवि दिनेश दिग्गज ने करीब आधा घंटे तक हंसी विनोद की कविताओं के साथ उत्साह का संचार करते हुए कहा ‘उस इंसा को गिरा सकता है कौन, जिसको चलना भी ठोकरों ने सिखाया है। पीपलरावां से आए युवा कवि विवेक शर्मा ने कवि सम्मेलन में सांस्कृतिक राष्ट्रवाद का अलख जगाते हुए कहा, दो चीजों पर गर्व हमे ये साक्षी स्वयं भवानी है, एक स्वयं सेवक है हम ओर दूजे हिंदुस्तानी है। विगत 35 वर्षो से मंचों पर अपनी ओजस्वी राष्ट्रवादी कविताओं के माध्यम से समाज जागरण का शंखनाद कर रहे देवास के वरिष्ठ कवि जगदीश सेन ने विकृत राजनीति एवं विधर्मियों को ललकारते हुए कहा, दुनिया के अंधो सुनलो हम आग पे चलते आए है, भारत के जीवन दर्शन की राह पर चलते आए है, एक हाथ में गीता, एक हाथ में शक्ति। नालछा मांडू से पधारे लाफ्टर हास्य कवि धीरज शर्मा ने हमारी प्राचीन परम्पराओं, प्रथाओं को जीवंत करते हुए कहा, व्यर्थ में संस्कारों को ढूंढने की कोशिश करता है, जबकि घर संस्कारों का विश्वविद्यालय होता है। सरदार अमरप्रीत सिंह ने आतंकी, अलगाववादियों को कविता में ललकारा, तू क्या डरायेगा हमे, देख तेरी सिरहन, सिंह की दहाड़ अभी बाकी है। कवि सम्मेलन में श्रीराम कुमावत, भौरासा ने भी काव्य पाठ किया ।
गोत्र हमारा राष्ट्रधर्म, कुलदेवी भारत माता है
कवि सम्मेलन का शिखर कलश स्थापित करते हुए महेश्वर से आमंत्रित ओजस्वी कवि नरेंद्र अटल ने लगातार करतल ध्वनि के मध्य अपने रचनापाठ में विघटनकारियो, जाति पाति की राजनीति करने वालो को संदेश हुए कहा ‘मातृभूमि की गौरव गाथा जीवन भर हम गाएंगे, पूछेगी जब भी यह दुनिया परिचय यही बताएंगे, इस मिट्टी ओर रक्त का जन्म-जन्म का नाता है, गोत्र हमारा राष्ट्र धर्म, कुलदेवी भारत माता है । कवियों एवं अतिथियों का स्वागत समिति के शेखर कौशल, नमीष तिवारी, शरद कौशल, शैलेंद्र सिंह गौड़, रवि कसेरा, बंटी लश्करी, जीतू माली, दीपक सोनी, प्रद्युमन सिंह गौड, गोलू सोनी, एडवोकेट भरत कौशल, शानू पाचुनकर, अविनाश कौशल, सोनू नायक, कमल चौरसिया, धनराज कौशल, हरिसिंह, अभिमन्यु कौशल, विष्णु खींची, आशीष पंड्या, अंकित कौशल आदि ने किया । कवि सम्मेलन में प्रमुख रूप से प्रेस क्लब अध्यक्ष अतुल बागलीकर, कोषाध्यक्ष सिद्धार्थ मोदी, पत्रकार अमित बागलीकर, जितेंद्र मारू, पार्षद निलेश वर्मा, सोनू परमार, श्रीमती रितु सावनेर, अजय पडियार, शिवशक्ति सेवा मंडल के आनंदसिंह ठाकुर, संस्था देववासिनी के सचिव महेश चौहान, शंभू अग्रवाल, दुर्गेश खींची, कमल शर्मा, शुभम जाधव, संतोष वर्मा, पंडित योगेश शर्मा, विजय गहलोत सहित बड़ी संख्या में काव्य रसिक श्रोता, मातृशक्ति एवं गणमान्य जन उपस्थित रहे ।

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